AAP क्राँति – पराकाष्ठा से पराभव
तक
- इस दुनिया में एक पूजक
सँस्कृति है। वह पूजती है। पूजने का उसका अपना इतिहास है।
- उस सँस्कृति ने सब कुछ पूजा – उसने चूहा पूजा, शेर पूजा,
बैल पूजा, गाय को पूजा,
भैंसे को पूजा, वृक्ष को पूजा, दिशाओं
को पूजा, हवा को पूजा, जल को पूजा,
और अग्नि को पूजा।
- अब सबसे अँत में उसने दिव्य, हुतात्मा,
वँदनीय, स्मरणीय, पापों
का नाश करने वाले, दुखों को दूर करने वाले, ऋद्धि – सिद्धी के दाता,
विद्याओं के जनक, तर्क आदि शास्त्रों के
ज्ञाता अविनाशी देव केजरीवाल को पूजा।
- यह सँस्कृति जो भारत भूमि पर
पाई जाती है गाँधी नाम के एक महात्मा को पूजती रही है और इसका लाभ कुछ दल लेते रहे
हैं –
इतिहास
में ऐसे दलों को काँग्रेस नाम की संज्ञा से जाना गया है।
- यही सँस्कृति राम नामके एक
अवतार को पूजती है और इसका लाभ कुछ अन्य दल लेते रहे हैं – इतिहास में ऐसे दलों को
भाजपा नामक संज्ञा से जाना गया है।
- यह देख कर कुछ लोगों ने
निश्चय किया कि चलो अब कुछ तूफानी हो जाए। उनके बीच में से उठ कर एक उत्तम पुरुष
ने कहा कि इस बार वह पूज्य बनेगा।
- उसने कहा कि उसमें अनेक गुण
हैं –
वह
अन्य सबसे उत्तम है,
वह सबसे बेहतर विचारक है, सबसे बेहतर चिंतक
है। उसने कहा कि अन्य सब प्रतीकों को भूल जाओ, वे पुराने पड़
गये हैं। पुराने प्रतीकों में जंग लग चुका है।
- उसने कहा कि वह अवतारों की
लिस्ट में लेटेस्ट है। उसने अनके चारण रख छोड़े जो उसका निरन्तर कीर्तन किये जा
रहे थे। ये चारण कभी ना थकते थे। इनसे कुछ भी पूछो ये केजरी-रासौ गाना शुरू कर देते
थे।
- इस चारण मँडली ने बहुत गाना
गाया। इन्होंने गा गाकर बताया कि सभी समस्याओं का हल प्रभू केजरी की लीलाओं में
छिपा है। जल सम्बन्धी समस्या हो तो वह प्रभू केजरी की वँशी से ही ठीक होगी।
विद्युत सम्वन्धी समस्या हो तो वह भगवान केजरी के आशीर्वाद से दूर होगी। उन चारणों
ने गा गाकर बताया कि इसके अलावा महँगाई,
भ्रष्टाचारण, घूसखोरी और पुलिस-प्रतारणा जैसी
जितनी भी अन्य प्रेत-बाधाएँ हैं वे सब भी केजरी-भभूत लगाने से ही दूर होंगी।
- उस पूजक सँस्कृति को लगा कि
किसी नये अवतार के अवतरित होने की वेला आ गई है।
- 4 नवम्बर 2013 को इस नये
अवतार ने इस मृत्यु लोक में अवतरित होने की ठानी। रेडियो और दूरदर्शन आदि पर
घोषणाएँ की गईं कि अवतार ने जन्म ले लिया है।
- समस्त भू-लोक में मँगल-गान
बजने लगे। शँख-ध्वनि से दिशाएँ गुँजायमान हो गईं। पूरी की पूरी सँस्कृति नृत्य से
झूमने लगी। चारों दिशाओं में शुभ लक्षण दिख रहे थे।
- कुछ दिन तक तो ठीक चला। पर
तभी लोगों ने देखा कि इस चमत्कारी बालक ने जो चक्र थाम रखा है वह दिव्य नहीं बल्कि
चाईना शॉप से खरीदा हुआ पैंतीस रूपये वाला आइटम है। किसी ने खबर लीक कर दी कि ना
केवल इसका चक्र बल्कि इसका शँख,
इसकी मुरली, मोर मुकुट और यहाँ तक कि इसके
मेक-अप की किट भी लाल किले के पीछे वाले चोर मार्केट से खरीद कर लाए गये हैं।
- यह भी अफवाह फैला दी गई कि
जो चारण गण इस नये अवतार की वँदना गा रहे थे वे भी एक कॉन्ट्रैक्टर के पास से
मँगवाए गए बाउन्सर्स हैं।
- इसके बाद पूजक सँस्कृति के
सामने बड़े सवाल खड़े हो गये हैं।
- सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब
इस खण्डित देव-प्रतिमा का क्या करे? इसे कहाँ जल प्रवाहित करे?
- अँत में यही निर्णय लिया गया
कि इस चाइनीज़ गुणों वाली क्राँति के कबाड़ को यदि चाईना वापिस नहीं लेता है तो
इसकी पूँछ में रॉकेट बाँध कर होली के बाद इसे
चाँदीपुर से दाग दिया जाए। उसके बाद ये जिसके भी आँगन में पड़े ये उसकी
मुसीबत। हमारे सिर से तो बला टल ही जाएगी।
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